डॉ. भीमराव अंबेडकर के अनमोल विचार –
••• “शिक्षा जितनी पुरुषो के लिए आवश्यक है उतनी ही महिलाओं के लिए”
••• “बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए”
••• “मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है”
••• “मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री में मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है”
••• “धर्म मनुष्य के लिए है न की मनुष्य धर्म के लिए”
••• “शिक्षित बनो, संगठित रहो और उत्तेजित बनो”
••• “संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है बल्कि वह जीवन का एक माध्यम है”
••• “हमे अपने पैरो पर खड़े होना है, अपने अधिकार के लिए लड़ना है तो अपने ताकत और बल को पहचानों क्योंकि शक्ति और प्रतिष्ठा संघर्ष से ही मिलती है”
••• “हम सबसे पहले और अंत में भारतीय है”
••• “ज्ञानी लोग किताबों की पूजा करते है और अज्ञानी पत्थरों की पूजा करते है”
••• “जो व्यक्ति अपने मौत को याद रखता है , वह सदा अच्छे कार्य में लगा रहता है”
••• “लोगो को अपनी किस्मत के बजाए अपनी मजबूती पर विश्वास करना चाहिए”
••• “सागर में रहकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूंद के विपरीत इंसान जिस समाज में रहता है वहां अपनी पहचान नहीं खोता”
••• “इतिहास गवाह है जब नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष हुआ है वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है”
••• “अच्छा दिखने के लिए नही बल्कि अच्छा बनने के लिए जियो”
••• “अगर मुझे लगा की मेरे द्वारा बनाए संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है तो सबसे पहले मैं इसे जलाऊंगा”
••• “जो झुक सकता है वो सारी दुनिया को झुका भी सकता है”
••• “ज्ञान हर व्यक्ति का आधार है”
••• “जीवन लंबा नही बल्कि महान होना चाहिए”
••• “हमारे संविधान में मत का अधिकार एक ऐसी ताकत है जो की किसी ब्रह्मास्त्र से कही अधिक ताकत रखता है”
••• “मन का स्वतंत्रता ही वास्तविक स्वतंत्रता है”
••• “मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है”
••• “बहुत सारे देवी-देवता आये और चले गए मगर अछूत हमेशा अछूत ही रहें”
••• “यदि हम एक संयुक्त एकीकृत भारत चाहते है तो सभी धर्मो के शास्त्रों की, संप्रभुता की अंत होना चाहिए”
••• “वे इतिहास नही बना सकते जो इतिहास को भूल जाते है”
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