महत्त्वपूर्ण जानकारी :-
• जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2023
• मंगलवार, 20 जून 2023
• असाढ मास द्वितीया तिथि
जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा सबसे बड़े प्रतीक्षित त्योहारों में से एक है जो की वार्षिक कार्यक्रम के रूप में जून या जुलाई में असाढ़ मास के द्वितीया तिथि को मनाया जाता है और यह भारत के एक बड़े पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष सर्वप्रथम मनाया जाता है जो की बहुत-बड़ी त्योहार अर्थात् जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा भव्य रूप से आयोजित होती है जो की भारत के ओडिशा राज्य में पुरी में इसकी भव्यता देखी जा सकती है।
पुरी की रथ यात्रा बड़े ही भव्य रूप से आयोजित किया जाता है जिसे प्रतिवर्ष भव्य रूप से आयोजित किया जाता हैं जो की भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन देवी सुभद्रा और उनके बड़े-भाई बलभद्र को समर्पित है यह एक धार्मिक उत्सव हैं इसे गुंडीचा-यात्रा, कार महोत्सव, दसा -अवतार, नवदिन- यात्रा जैसे कई नामों से जाना ( सुप्रसिद्ध ) जाता है।
इस भव्य रथ यात्रा के पहले दिन देवताओं के सुसज्जित रथ गुंडीचा मंदिर पहुंचते है जो की सात दिनों तक वहीं रहते है और नौवें दिन वे जगन्नाथ मंदिर लौट आते है।
जगन्नाथ पुरी में भगवान जगन्नाथ, बहन देवी सुभद्रा और बड़े-भाई बलभद्र इन सभी के लिए तीन रथों का निर्माण किया व सुसज्जित रूप से सजाया जाता है जिसके द्वारा इन देवताओं को यात्रा कराई जाती है। भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष कहा जाता है और यह 18 पहियों वाला , और भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई बलभद्र के रथ को तालाध्वज के नाम से जाना जाता है जो की 16 पहियों वाला होता है। देवी सुभद्रा के रथ को द्वारपदलन के नाम से जाना जाता है जो की 14 पहियों वाला होता है और साथ ही इन्ही लकड़ी के बने विशाल मंदिरों को भगवान को सुसज्जित कर यात्रा कराई जाती है जो की भारत में बड़े ही भव्यता से आयोजित होती है।
इन सुंदर मंदिरो को लोगो के द्वारा रस्सियों द्वारा खींचकर भ्रमण कराया जाता है जो की बड़ा ही आत्मीय सुख प्रदान करती है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर की कुछ विशेषताएं:-
• झंडा:- मंदिर के ऊपर स्थित झंडा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है अब ऐसा क्यू है ये कोई नहीं जान पाया यह जगन्नाथ पुरी में दर्शन का केंद्र भी है जिसे देखने लाखों लोग जाते है।
• चक्र :- भगवान जगन्नाथ पुरी की मंदिर में लगा आठ धातुओं का चक्र किसी भी दिशा से देखने पर सीधा ही नजर आता है माना जाता है की ये चक्र मंदिर के ऊपर से उड़ने वाले कोई भी वस्तु जैसे जहाज, चिड़ियों की उड़ान में रूकावट पैदा करती है जिससे इसके ऊपर से कोई भी चीज नहीं उड़ती है।
• मंदिर:- जगन्नाथ पुरी मंदिर को रेखांकित ही ऐसा किया गया है की इसके अन्दर आपको समुद्र की कोई भी आवाज नहीं सुनाई देगी इसके बावजूद के मंदिर समुद्र के बहुत नजदीक है और यदि आप बाहर आते है तो आपको अच्छे से समुद्र का आवाज सुनाई देगा।
यदि आप भी इस अमृत-तुल्य अनुभव का आनंद लेना चाहते है तो जगन्नाथ पुरी की यात्रा ज़रूर करें जिससे आपको एक अलग ही आत्मीय-सुख की अनुभूति होगी।
Disclaimer:- यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना आवश्यक है कि Allimpulses.in किसी भी प्रकार की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी मान्यता या जानकारी को अमल में लाने से पहले सम्बन्धित विशेषज्ञ से सलाह लें।