मौका छोड़ना किसे कहते है? यह कहानी दो मछुवारों की है जो मछली पकड़ने के लिए समुद्र के तट पर बैठे मछली के फंसने का इंतजार कर रहे थे।
एक बार दो मछुवारे समुद्र तट पर बैठे मछली पकड़ रहे थे। उन दो मछुवारों अपना-अपना कांटा बनाने के तत्पश्चात कांटो को समुद्र में डाल देते है। समुद्र में जरा भीं हलचल नहीं होती है, मछुवारे मछलियों के ताक में बैठे रह जाते है। करीब 2 से 3 घंटे बाद मछलियों का कांटे में फंसना चालू हुआ। एक मछुवारे के कांटे में लगातार मछलियां फंसती गई फिर भी वह मछुवारा लगातार अपनी कांटा डालते जा रहा था और साथ में फंसे हुए मछलियों को बाहर फेंकते जा रहा था।
बहुत देर बाद दूसरे मछुवारे के कांटे में भी मछलीयां फंसना चालू हुआ। पहले मछुवारे के कांटे में मछलियां फंसती गई फिर भी वह मछुवारा लगातार अपनी कांटा डालते जा रहा था । और साथ में फंसे हुए मछ्ली को बाहर फेंकते जा रहा था।
बहुत देर बाद दूसरे मछुवारे के कांटे में भी मछली फंसना चालू हुआ , दूसरा मछुवारा मछ्ली पकड़ता और पास रखी थैला में रखता जाता लेकिन पहला मछुवारा लगातार मछलियां पकड़ता और फेंक देता। ऐसा करता देख दूसरा मछुवारा अचंभित हो बैठा, वो चाहता था की उसे पूछे कि तुम उन मछलियों को क्यों फेंक रहे हो लेकिन पूछने में असमर्थ हो जाता था। बड़ी मसक्कद, मेहनत करके वह दूसरा मछुवारा पहले पहले मछुवारे से पूछ लेता है और उसे जवाब में यह सुनने को मिलता है कि उसके यहां बड़ी बर्तन नही है जिससे बड़े मछलियों को पका सकूं।
यह जवाब सुनकर दूसरा मछुवारा ने उस पहले मछुवारे को कहा कि अगर तुम्हारे पास यदी बड़ा बर्तन नही है बड़ी मछलियों को पकाने के लिए तो तुम उस बड़ी मछ्ली को काटकर भी छोटी बर्तन में पका सकते हो न, तुमने अब तक जितनी मछ्ली पकड़ी थी उसे लेकर जा सकते थें। तुम्हे इतनी ज्यादा देर यहां रूकना नहीं पड़ता। इससे यह सिख मिलती है की जरूरत के समय जैसी मौका मिले उसे कभी भी इंकार नहीं करना चाहिए या फिर उस मौके को नही छोड़ना चाहिए।