नाड़ी शुद्धि के उपाय … अनुलोम-विलोम

अनुलोम विलोम एक प्राणायाम है जिसे हठ योग नमस्कार अभ्यास में किए जाते है और सांस प्राणायाम में से एक है। अनुलोम विलोम प्राणायाम को “माइग्रेन” के लिए सबसे अत्यधिक प्रभावी योग आसन माना गया है। अगर आपको माइग्रेन की समस्या है तो आप इस योग आसन को प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट करने से तनाव को कम करके माइग्रेन दर्द और सिर दर्द को दूर करने या नियंत्रित करने में सहायक होती है। साथ ही साथ अनुलोम-विलोम को करते समय नथुने से सांस लेना, शारीरिक और मानशिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।

शारीरिक और मानसिक लाभ से मतलब है की बेहतर धैर्य, ध्यान और नियंत्रण में बढ़ोत्तरी देखा गया है। तनाव, चिंता से राहत और श्वसन, ह्रदय, मस्तिस्क स्वास्थ्य में सुधार भी अनुलोम-विलोम प्राणायाम के लाभ में शामिल है।

अनुलोम-विलोम किन्हें नहीं करनी चाहिए?

प्रायः अनुलोम विलोम प्राणायाम सभी कर सकते हैं किंतु ह्रदय रक्तचाप के रोगी और गर्भवती महिलाओ को इस प्राणायाम को करते समय इस बात को ध्यान में रखे की आपको सांस को रोककर नही रखना है यद्यपि सांस लेते और छोड़ते रहें।

सावधानियां:-

  1. शुरुआत में कम से कम 3-4 महीने अनुलोम-विलोम प्राणायाम का अभ्यास बिना सांस रोके करें।
  2. शुरुआत में सांस लेते और छोड़ते समय निम्नतः 1:2:2 का अनुपात बनाएं रखे।
  3. सामान्यतः अपनी सांस को बलपूर्वक रोककर ना रखे।
  4. इस प्राणायाम को करते समय स्थिर बैठे।

अनुलोम-विलोम की प्रक्रिया:-

  1. किसी सतह पर योगासन की अवस्था में बैठ जाए। बैठते समय यह ध्यान में रखे की आप स्थिर हो प्राणायाम की स्थिती में।
  2. जब आप अनुलोम-विलोम करना शुरू करें तो आपकी हाथ को स्थिती “विष्णु-मुद्रा” में होना चाहिए।
  3. अपनी हाथ की अंगुली तर्जनी-मध्यमिका और अंगूठे को अपनी नाक पर रखे
  4. दो अंगुलियों और अंगूठे को नाक के दोनो तरफ रखे और अंगूली को दबाए रखकर दूसरी तरफ से सांस लेना है और फिर अंगूठे से दबाए रखते हुए दूसरी तरफ से सांस छोड़ना है।
  5. ऐसे ही दूसरे तरफ से भी इसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बार-बार करें।

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