आराम हराम है!

आराम करने की चाहत और मानसिकता हर किसी में होती है यदि आप भी आराम करने को प्राथमिकता देते है तो आप इन बातों को जानकर अभी से ही आराम करने को महत्ता देना छोड़ देंगे।

आराम हराम है यह नारा एक समय में हमारे भारत देश के स्वतंत्रता सेनानी के और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिया था और नेहरू जी का इस विषय में यह कहना था की आराम करने के बजाय कुछ करो जिससे कि कुछ न कुछ तो फल प्राप्त होगा ही। उस समय भारत देश अंग्रेजो के गुलाम थे तो उन्होंने यह नारा इसलिए कहा था क्योंकी आपके खाली बैठे रहने से आपको कुछ नही मिलेगा यद्यपि आप कुछ करेंगे या स्वतंत्रता सेनानियो का मदद, स्वतंत्रता में भागीदारी लेने से स्वतन्त्रता की आगाज़ में इजाफा होगा।

आज इंसान का मुख्य लक्ष्य तेजी से विकास करना है ताकि जीवन को और आराम और सुखद बनाया जाएं, लेकिन सभी चीज़ के अच्छे-बुरे दोनो पहलू होते है। आज के आधूनिक युग में सभी लोग यह चाहते है की सुख मिले वह भी बिना कोई कार्य किए बगैर, बाद में उन्हें इस बात का खेद रहता है की काश मै थोड़ा काम कर लेता आज मैं कुछ और होता। ऐसी समस्या ना हो इसके लिए आप ये कहना या अपने कार्य को टालना छोड़ दे की कल करूंगा या किसी कार्य को पूर्ण न करने पर ये मेरी गलती न थी और वह लकी था इन बहानों का इस्तेमाल न करें। काम टालने या ना करने के लिए मैं थक गया, मैं यह नहीं कर सकता, मेरे पास समय नहीं है, ये सब कहने की बात है इत्यादि बहानों का सहारा ना लें क्योंकी ये सभी बहाने आपको एक दलदल या कहे तो यह एक बिमारी के समान है जो आपको अपनी चपेट में दिन ब दिन लेती जाएगी यदी आप इसके आदि हो रहे हो तो। और यह आपको अपनी लत में इस्कदर बेशुमार करेगी जैसे की शराब किसी व्यक्ति को अपनी लत में बेशूध कर देती है उसे किसी चीज का हाव भाव दुनियादारी उस समय कुछ पता नही रहता ऐसी स्थिती हो जायेगी। यदि किसी व्यक्ति को बिना किए हर चीज़ मिल जाता हो तो वो अपने आप को उस कंफर्ट जोन आदि बना लेता है और यह अवस्था उस व्यक्ति के जीवनशैली के लिए बहुत हानिकारक होता है।

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